आपकी सोच और प्लानिंग पर किसी का जोर नहीं चल सकता है! आप कुछ भी सोच सकते हैं लेकिन जरूरी नहीं आप जो प्लान कर रहे हैं वो पूरा भी हो। ऐसा ही कुछ मेरे साथ बीते डेढ़ साल में हुआ। मैं अपनी बेटी के जन्म से हर दिन की तस्वीर ब्लॉग पर लगाता था, लेकिन कुछ परिस्थितियां ऐसी बनी कि मैं उसको पेंडिंग रखता गया और वो बंद हो गया। अंतिम पोस्ट 11 जुलाई 2016 की है। बाद मे मैं कई बार सोचता रहा, फिर से शुरू करूं... तो दिमाग यह कहता अब तो क्रम टूट गया लेकिन क्या मैं यह किसर रेकॉर्ड के लिए कर रहा था? तब दिल ने आवाज दी जो तुम्हें पसंद है उसको करने के लिए दिमाग को क्यों जहमत दे रहे हो। अब मैं फिर से अपनी बेटी का ब्लॉग उसके 8वें जन्मदिन की तस्वीर के साथ शुरू कर रहा हूं। उम्मीद है, इसको आगे तक ले जाऊंगा...


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